सरल गीता (श्रीमद्भागवद् गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-१०)
~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि वियाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।२२।। नैनं छिन्दति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति




