मुख्य डेस्क, Author at Himal Post - Page 465 of 573 Himal Post
  • ४ माघ २०८१, शुक्रबार
  •      Fri Jan 17 2025
Logo

मुख्य डेस्क

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५७)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ अध्याय एघार ॐ श्री परमात्मने नमः अर्जुन उवाच मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम्। यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम।।१।। भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो मया। त्वत्तः कमलपत्राक्ष माहात्म्यमपि

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५६)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ अक्षराणामकारोऽस्मि द्वन्द्वः सामासिकस्य च। अहमेवाक्षयः कालो धाताहं विश्वतोमुखः।।३३।। मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम्। कीर्तिः श्रीर्वाक्य नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा।।३४।। अक्षर्‌मा म अ हूँ समासहरूमा हूँ द्वन्द्व जाने

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५५)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ रुद्राणां शंकरश्चामि वित्तेशो यक्षरक्षसाम्। वसूनां पावकश्चामि मेरुः शिखरिणामहम्।।२३।। पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्। सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः।।२४।। शङ्कर् हूँ म त रुद्रमा, अनि

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५४)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ स्वयमेवात्मनात्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम। भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते।।१५।। वक्तुमर्हस्यशेषेण दिव्या ह्यात्मविभूतयः। याभिर्विभूतिभिर्लोकानिमांस्त्वं व्याप्य तिष्ठसि।।१६।। प्राणी सर्जक, विश्वका अधिपति, स्वामी हजुर्‌लाई त राम्रो चिन्न समर्थ को

मोहम्मद गल्लीको मुहब्बत

कुनै दिन थिए जतिबेला मोहम्मद गल्लीको एक छेउदेखि अर्को छेउ म लुखुरलुखुर हिँडिरहन्थेँ। आज कैयन् वर्षपछि त्यही मोहम्मद गल्लीमा घण्टा दुएक बिताउन आइपुगेँ। अचम्मै लाग्दछ जीवनको गति। कहाँबाट कहाँ पुगिने।

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५३)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ मच्चिता मद्‌गतप्राणा बोधयन्तः परस्परम्। कथयन्तश्च मां नित्यं तुष्यन्ति च रमन्ति च ।।९।। तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्। ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते।।१०।। तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः नाशयाम्यात्मभावस्थो

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५२)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ अथ दसमोऽध्यायः श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो शृणु मे परमं वचः। यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया।।१।। न मे विदुः सुरगणाः प्रभवं न महर्षयः। अहमादिर्हिं देवानां महर्षीणां च

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५१)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेषोऽस्ति न प्रियः। ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम्।।२९।। अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक्। साधुरेव स मन्तव्यः सम्यग्व्यवसितो हि

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-५०)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्।।२२।। येऽप्यन्यदेवता भक्ता यजन्ते श्रद्धयान्विताः। तेऽपि मामेव कौन्तेय यजन्त्यविधिपूर्वकम्।।२३।। भज्छन् नित्य, अनन्य भावसँग जो मैलाई हे अर्जुन

पद्मश्री साहित्य पुरस्कार तथा पद्मश्री साधना सम्मान – २०७५ घोषणा

२०७५ सालका लागि पद्मश्री साहित्य पुरस्कार रमेश सायनलाई उनको कृति ‘छुटेका अनुहार’लाई प्रदान गरिने भएको छ। त्यस्तै पद्मश्री साधना सम्मान पूराविद्, इतिहासविद् तथा संस्कृतज्ञ डा. महेशराज पन्तलाई प्रदान गरिने भएको

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-४९)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ पितामहस्य जगतो माता धाता पितामहः। वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक्साम यजुरेव च।।१७।। गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत्। प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम्।।१८।। तपाम्यहमहं वर्ष निगृह्णाम्युत्सृजामि च।

सरल गीता (श्रीमद्भागवद्गीताको नेपाली पद्यानुवाद, शृङ्खला-४८)

~स्व. पण्डित जीवनाथ उपाध्याय अधिकारी~ न च मां तानि कर्माणि निबध्‍नन्ति धनंजय। उदासीनवदासीनमसक्तं तेषु कर्मषु।।९।। मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम्। हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते।।१०।। वास्ता छैन मलाई कर्म फलको आसक्ति नै लिन्नँ